Babu Yugul Kishorji kota
जो चेतन के भीतर झाँका, उसने जीवन देखा,
भाकी ने तो खिंची रे परितप्त तटों पर रेखा |
Babu Yugalji
सम्यग्दर्शन के घर में स्वयं सम्यग्दर्शन के रहने के लिए भी कोई जगह नहीं है | उसने अपना कोना - कोना ध्रुव के लिए खाली कर दिया है |
Babu Yugalji
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